वैसे तो खाँसना एक सामान्य शारीरिक क्रिया (Sukhi Khansi Ke Liye Gharelu Upay) है, आम तौर पर सभी को खांसी हो ही जाती है। जब भी मौसम बदलाता है तो सबसे पहले सर्दी खांसी जैसी बीमारी ही हमारे शरीर को दस्तक देती है।
यह एक ऐसी समस्या है, जो कभी भी किसी को भी हो सकती है। पर खांसी जब लंबे समय तक बनी रहे तो यह एक परेशानी का रूप ले लेती है। क्योंकि जिस व्यक्ति को खांसी हो रही होती है, एक तो खांस खान के उसका शरीर थकने लगता (Sukhi Khansi Ke Liye Kya Karna Chahie) है कोई भी काम ठीक से नहीं हो पता। दूसरा साथ रहने वालों को भी इन्फेक्शन हो सकता है और हर समय खांसी की वजह से आस पास के माहौल में भी डिस्टर्बेंस रहती है।
यूँ तो खांसी दो प्रकार की होती है, सूखी खांसी और बलगम या कफ़ वाली खांसी। जब खांसी कफ़ के बिना हो तो वह सुखी खांसी कहलाती है। सूखी खांसी होने पर ऐसा लगता है मानो गले में कुछ अटक गया हो और खांसने के बाद भी निकल नहीं पा रहा (Sukhi Khansi Ke Liye Gharelu Nuskhe) हो।
सूखी खांसी हो जाए तो जल्दी आराम आना भी मुश्किल हो जाता है और कफ़ सीरप पीने से नींद भी बहुत आती है। इस तरह की खांसी में चेस्ट और पीठ में थकान भरी पीड़ा होने लगती (Sukhi Khansi Ke Liye Kya Karna Chahiye) है। खांस खांस कर गले में खिचाव और सर भी भरी सा होने लगता है। कोई भी काम करना बहुत मुश्किल हो जाता है। यदि सुखी खांसी का इलाज़ न किया जाये तो ये बहुत सी समस्याओं जैसे साँस लेने में तकलीफ, बेहोशी आदि का कारण भी बन सकती है। ऐसे में दादी-नानी के अजमाए ये घरेलु नुस्खे आपके काम आ सकते हैं।
सूखी खांसी होने के कई कारणों से हो सकती हैं। किसी भी बीमारी के सही कारणों को पहचानने से ही उसका उचित इलाज किया जा सकता है। इसलिए सूखी खांसी से छुटकारा पाना हो तो या पहले यह पता लगाना होगा की यह खांसी आखिर है किस कारण।
#1. एलर्जी
नाक और गले में एलर्जी होने से सुखी खांसी हो सकती है। कई बार धूल, मिटटी, धुंआ अथवा बदलते मौसम के प्रभाव से एलर्जी की शिकायत होने लगती है और सुखी खांसी छिड़ जाती है।
#2. अस्थमा या टीबी
अस्थमा या टीबी जैसे सांस की बिमारियों के चलते भी सुखी खांसी की शिकायत रहती है।
#3. वायरल इन्फेक्शन
मौसमी बुखार, वायरल इन्फेक्शन, सर्दी, फ्लू इत्यादि भी सुखी खांसी की कारण हो सकते हैं।
#4. प्रदूषित हवा
वातावरण की अशुद्धता और हवा में फैला ज़हर हमारी सांस से फेंफड़ों तक पहुँच कर खांसी की शिकायत बढ़ाता है।
जैसा की हम सभी जानते हैं की खांसी एक संक्रमिक रोग, और हाथों के संपर्क में कीटाणु बहुत जल्दी आते हैं क्योंकि हाथ अनेक प्रकार की चीज़ों को छूटे हैं इसलिए बहुत जरूरी है की हम अपने हाथों को बार-बार धोएं। खासकर सार्वजनिक स्थान से लौटने के बाद तो तुरंत ही हाथ धो लेने चाहिए।
खांसी होने पर अपने पास अवश्य ही साफ़ रुमाल अथवा टिश्यू पेपर रखें और जब भी खांसी आये इनका प्रयोग करें। ऐसा करने से आपके मुँह से निकलने वाले संक्रमित कण दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे और आप भी साफ़ रहेंगे।
अपने आप को भी अधिक कीटाणुओं के प्रवेश को बचने के लिए अपने चेहरे, खासकर अपनी आंखों और मुंह को संक्रमित हाथों से बार बार न छुएं, ऐसा करने से खांसी के कष्ट के साथ साथ और इन्फेक्शन्स भी हो सकते हैं।
शुद्ध शहद में पाए जाने वाले नेचुरल एंजाइम खांसी से राहत दिलेन में बहुत कारगर होते हैं। शहद के यही औषधीय गुण इसे खांसी के उपचार के लिए बहुत उपायोगी बनाते है। सूखी खांसी के उपचार के लिये 1 चम्मच शहद 3 बार लेने से सुखी खांसी में बहुत आराम मिलता है।
खांसी और उससे होने वाली गले की तकलीफों से निज़ाद पाने का सबसे पुराणस और सबसे आसान नुस्खा है गरम पानी के गरारे। सुबह और शाम एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच नमक मिला कर अच्छे से गरारे करने से गले में कष्ट देने वाले कीटाणुओं का नाश हो जाता है और गले को आराम मिलता है।
काली मैच हमारी रसोई का अभिन्न अंग है। यह केवल मात्रा एक मसाला नहीं बल्कि विशेष औषधीय वास्तु है जो किसी प्रकार की खांसी से छुटकारा दिलाने में अति गुणकारी है। एक चम्मच पीसी काली मिर्च को एक चम्मच देसी घी में भून करकर थोड़ा थोड़ा दिन भर चाटते रहने से सुखी खांसी में जादू सा आराम आता है।
थड़ी का मौसम हो या तेज़ बरसात मसाला चाय के नाम से मन खुश हो जाता है। सुखी खांसी होने पर तुलसी, काली मिर्च, लॉन्ग और अदरक की बानी मसाला चाय के सेवन से गले को बहुत आराम मिलता है। इसे पिने से गले और छाती का इन्फेक्शन दूर होता है और कुछ ही दिनों में खांसी से छुटकारा मिल जाता है।
तुलसी एक बहुमूल्य हर्बल प्लांट है। कहा जाता है की तुलसी खांसी ज़ुकाम और मौसमी बुखार आदि में बहुत उपयोगी होती है। 8 -10 तुलसी से पत्तों को दो कर एक ग्लॉस साफ पानी में तब तक उबालें जब तक की पानी आधा न रह जाये, अब इसे कप में छान कर इसमें शहद मिला कर घूंट घूंट पियें, इससे गले को बहुत आराम मिलता है। सुखी खांसी का कष्ट दूर हो जाता है और इसका कोई भी साइड इफ्फेक्ट नहीं है।
अदरक को खांसी के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है।
हल्दी तो हमारी सबसे नज़दीकी साथी है, हमारी हर सब्ज़ी और हर खाने की रौनक होती है हल्दी। हल्दी में बहुत सरे औषधिक गुण होते हैं, ये एंटीसेप्टिक का खज़ाना है इसके सेवन से चेस्ट के इन्फेक्शन में बहुत आराम आता है और खांसी कम होते होते पूरी तरह ख़त्म तक हो जाती है।
हमारी रसोई घर का हमजोली खुशबूदार और रसीला निम्बू भी हो हर मुश्किल आसान कर देता है। निम्बू विटामिन C का बहुत अच्छा स्त्रोत है और विटामिन C खांसी के इलाज का बहुत अच्छा साबित होता है। 2 चम्मच नींबू के रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में चार बार लेने से गले की खराश दूर हो जाती है और सूखी खांसी से भी राहत मिलती है।
लहसुन में एक प्रकार का एंटीबैक्टीरियल पदार्थ रहता है जो गले के सभी कष्ट तुरंत ही गायब करने में मदद करता है। एक कप पानी में दो या तीन लहसुन की कलियों को उबालें, हल्का ठंडा होने पर इसमें शहद मिला कर घूंट घूंट पीने से सूखी खांसी में बहुत आराम मिलता है।
आधा चम्मच प्याज के रस में एक छोटा चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार लेने से सुखी खांसी झट से गायब हो जाती है।
नोट: यूँ तो उपरोक्त सभी उपाए देसी व सदियों से आज़माये हुए हैं पर फिर भी यदि खांसी ज़्यादा दिन तक रहे, तो उसे डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।
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