बैंक में नौकरी, वह भी पीओ (प्रोबेशनरी ऑफिसर) की हो साथ ही किसी राष्ट्रीय बैंक में तो इससे बेहतर करियर विकल्प कोई और नहीं है। ए ग्रेड की इस नौकरी का रुतबा अलग है और मिलने वाली सुविधाएं भी। यही वजह है कि बैंक में पीओ की नौकरी के लिए कठिन मेहनत के साथ सूझ-बूझ की भी सख्त आवश्यकता रहती है। बैंकिंग पीओ के लिए आईबीपीएस (इंडियन बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन) (IBPS kya hai?) की परीक्षा पास करनी होती है, हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपने यहां भर्ती के लिए अलग से परीक्षाएं आयोजित कराता है। इसके लिए आपको आईबीपीएस परीक्षा की तैयारी करनी होगी।
देखा जाए तो बैंक परीक्षा की तैयारी के लिए अधिकतर उम्मीदवार कोचिंग की सहायता लेते हैं और सालों तक इसकी तैयारी में जुटे रहते हैं लेकिन यदि आप थोड़ी सूझ-बूझ के साथ चलें और रणनीतिक तौर पर तैयारी करें तो छह महीने में ही आप इसकी परीक्षा पास कर सकते हैं, वह भी बिना किसी कोचिंग या ट्यूशन के घर पर ही तैयारी करके (Bank Exam Preparation Tips)।
बैंक पीओ यानी प्रोबेशनरी ऑफिसर का यह पद बैंक में जूनियर मैनेजर या असिस्टेंट मैनेजर की तरह होता है। किसी भी बैंक में दो साल के लिए प्रोबेशनरी ट्रेनिंग होती है, उसके बाद ही उम्मीदवार का असल में पद तय किया जाता है। बैंकों में होने वाली अंदरुनी परीक्षाओं के बाद ही एक बैंक पीओ एजीएम, डीजीएम जैसे पदों तक कई सालों के बाद पहुंचता है।
बैंक पीओ की परीक्षा में शामिल होने के लिए 21 से 30 वर्ष की उम्र निर्धारित की गई है। हालांकि, ओबीसी उम्मीदवार के लिए तीन साल और एससी एवं एसटी उम्मीदवार के लिए पांच साल की छूट रखी गई है। उम्र का यह निर्धारण राष्ट्रीयकृत और सार्वजनिक दोनों तरह के बैंकों के लिए मान्य है। इसकी परीक्षा में भाग लेने उम्मीदवार की न्यूनतम योग्यता स्नातक है।
आईबीपीएस या स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में पीओ पद की दावेदारी के लिए दो परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है जिसमें से पहली प्रारंभिक यानी प्रीलिम्स और दूसरी मेन। इसके बाद ही इंटरव्यू की बारी आती है जिसमें उम्मीदवार के व्यक्तित्व को जांचा-परखा जाता है। बैंक परीक्षा के पैटर्न के बारे में आपको ऑफिशियल नोटिफिकेशन मिल सकते हैं। आप चाहें तो विभिन्न वेबसाइट पर जाकर भी इसके बारे में पता कर सकते हैं। इससे संबंधित कई पुस्तकें भी बाजार में उपलब्ध हैं।
सभी मुख्य बैंक परीक्षाओं का सेट पैटर्न होता है, प्रीलिम्स का पैटर्न कुछ इस तरह का होता है (बैंक परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग)
इंग्लिश कॉम्प्रिहेंशन - 30 सवाल और अधिकतम 30 अंक
रीजनिंग एबिलिटी - 35 सवाल और अधिकतम 35 अंक
क्वांटिटेटिव एप्टिट्यूड - 35 सवाल और अधिकतम 35 अंक
इन तीनों परीक्षाओं के लिए अलग- अलग समय 20 मिनट का मिलता है या कुल मिलाकर एक घंटे का।
मेन्स परीक्षा के विषय हैं -
#1. इंग्लिश लैंगवेज (यदि अंग्रेजी भाषा का बुनियादी ज्ञान आपके पास है तो इस विषय में अंक लाना आसान है। व्याकरण और शब्दावली का खास ध्यान रखें तो आप इसमें आसानी से पास हो सकते हैं।)
#2. रीजनिंग एबिलिटी (यह एक स्कोरिंग विषय है, इसमें अधिकतर सवाल तार्किक और मौखिक में से आते हैं। इसे हल करने के लिए शॉर्ट कट ट्रिक्स में महारत हासिल होना जरूरी है।)
#3. क्वांटिटेटिव एप्टिट्यूड (डाटा व्याख्या इस विषय का मुख्य भाग है। सारणीकरण, पाई चार्ट, रेखा चार्ट, लाइन ग्राफ, बार चार्ट जैसे सवाल हल करने पड़ते हैं। इसके लिए शॉर्ट कट फॉर्मूला का पता रहना जरूरी है।)
#4. जनरल अवेयरनेस (इस विषय के लिए आपको देश-विदेश की गतिविधियों के बारे में पता रखना जरूरी है, जैसे- राजनीतिक, सामाजिक, अर्थव्यवस्था, व्यापार, कृषि, संविधान, मीडिया, खेल, बैंकिंग आदि।)
#5. कंप्यूटर नॉलेज (कंप्यूटर से जुड़े बेसिक सवाल, ऑपरेटिंग सिस्टम, इंटरनेट ज्ञान, प्रोटोकॉल, इनपुट एवं आउटपुट, नेटवर्किंग, वर्ड, एक्सेल, पावर प्वाइंट जैसे सवाल पूछे जाते हैं।)
मेन्स परीक्षा का पैटर्न अलग- अलग रहता है। कुछ परीक्षाओं में विभिन्न खण्डों के लिए समय का बंटवारा अलग-अलग होता है तो कुछ में एक साथ करने के लिए समय मिलता है। यह जानना जरूरी है कि इस परीक्षा में निगेटिव मार्किंग भी होती है। इसलिए सवालों के जवाब सोच-समझ कर ही देना सही रहता है।
प्रेलिम्स के बाद मेन्स परीक्षा पास करने के बाद ही इंटरव्यू के लिए उम्मीदवार को बुलाया जाता है। ये इंटरव्यू अलग-अलग बैंकों द्वारा आईबीपीएस की मदद से आयोजित किए जाते हैं। इंटरव्यू में अधिकारियों द्वारा उम्मीदवार से जरूरी सवाल पूछकर उम्मीदवार की योग्यता का आंकलन किया जाता है। इसमें पास होने के बाद मेन्स और इंटरव्यू में आए अंकों के बाद ही उम्मीदवार के चयन को तय किया जाता है।
बिना कोचिंग या ट्यूशन की मदद के भी एक उम्मीदवार बैंक पीओ की परीक्षा पास कर सकता है। यह इतना मुश्किल भी नहीं, जितना लगता है। जरूरी यह है कि संरचनात्मक तौर पर इसकी तैयारी करना। दरअसल कोचिंग केंद्र आपको नियमित समय पर पढ़ाई करने के लिए बाध्य करते हैं, जो कि घर पर अमूमन लोग नहीं कर पाते। लेकिन यदि आपने अपने दिल और दिमाग को किसी चीज पर फिक्स कर लिया है तो किसी भी परीक्षा को पास किया जा सकता है।
खुद के लिए समय का प्रबंधन कीजिए और उस पर अडिग रहना आवश्यक है। लेकिन ध्यान यह रखना है कि यह इतना भी कठिन न हो कि आप स्वयं ही उसका पालन न कर पाएं। अपने 24 घंटे में से कम से कम छह घंटे भी यदि आप नियमित पढ़ाई और तैयारी पर देंगे तो बैंक पीओ की परीक्षा पास करने से आपको कोई रोक ही नहीं सकता। हां, इसकी पढ़ाई जरूर आपको रणनीति के साथ करनी होगी।
बैंक पीओ के परीक्षाओं के पैटर्न के बारे में जानने के बाद अगला चरण आता है पाठ्यक्रम के बारे में जानना। प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के पाठ्यक्रम में मामूली सा अंतर होता है। लेकिन एक उम्मीदवार को बैंक की परीक्षा पास करने के लिए इसका पता होना जरूरी है। अब आपका पहला काम है पाठ्यक्रम से सवालों को खण्ड के हिसाब से बांटना ताकि आप जान पाएं कि आपके लिए क्या मुश्किल है और क्या आसान।
अब आसान विषय को पढ़ने की बजाय उन विषयों को पढ़ना शुरू करें, जो आपको कठिन लगते हों। सभी विषयों पर कम से कम एक घंटे का समय देना जरूरी है। बेहतर तो यह होगा कि आप हर विषय के लिए अपने हिसाब से समय तय कर लें और उस निर्धारित समय में केवल उसी विषय को पढ़ें। इसके बाद ही आसान विषयों को पढ़ना शुरू करें। यह याद रखें कि आप गंभीर तौर पर पढ़ाई करने के लिए जितनी देर करेंगे, परीक्षा को पास करने के मौके उतने ही कम होते जाएंगे।
विभिन्न विषयों के आधारभूत कांसेप्ट को पहले पढ़ लें ताकि आप सारे सवालों का जवाब सही तरीके से ढूंढ पाएं। लेकिन अपनी पढ़ाई को केवल थ्योरी तक सीमित न रखें। एक बार आपने कांसेप्ट को पूरा कर लिया तो आप उस विषय पर आधारित सवालों को सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं।
एक बार आपने पाठ्यक्रम को ध्यान से देख लिया और मुश्किल विषयों को पढ़ भी लिया तो अब आपका काम है उन पुस्तकों को खरीदना, जो बैंकिंग की परीक्षा से संबंधित हैं और बाजार में उपलब्ध हैं। इन पुस्तकों से आपको काफी मदद मिल सकती है। इसके बाद आपको लंबे उत्तर की बजाय छोटे ट्रिक्स को आजमाना चाहिए ताकि परीक्षा देते समय आपका समय बच सके।
अमूमन बैंकिंग परीक्षा के उम्मीदवार ऑनलाइन मॉक परीक्षा देने के लिए उत्सुक रहते हैं लेकिन इसकी जल्दबाजी करना उचित नहीं है। क्योंकि यदि आप इसमें सही अंक नहीं ला पाएं तो आपका आत्मविश्वास कम हो सकता है। इसलिए, विषय के आधार पर क्विज को सुलझाने की कोशिश पहले करें। इस तरह से उस विषय पर आपका अधिकार मजबूत होगा और आप सीमित समय में उसे पूरा कर पाएंगे।
इसके बाद बारी आती है ऑनलाइन मदद लेने की। ऑनलाइन कई ऐसे मॉक टेस्ट उपलब्ध रहते हैं, जिसे आजमाकर आप अपनी मेहनत को परख सकते हैं। रोजाना कम से कम एक परीक्षा पत्र को सुलझा कर आप धीरे-धीरे आगे बढ़ सकते हैं। यहां आपके लिए यह ध्यान रखना आवश्यक है कि आप केवल प्रीलिम्स के नहीं बल्कि मेन्स के परीक्षा पत्र भी सुलझाएं।
इस तरह से आपको पता चल सकता है कि आप किन विषयों में अभी भी कच्चे हैं और कहां आपको दोबारा मेहनत करने की जरूरत है। ऑनलाइन मॉक परीक्षा में बैठकर आप समय के प्रबंधन के बारे में भी सीखते हैं जो कि असल में परीक्षा देते समय बेहद जरूरी है।
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