एक शाम सब्ज़ी मंडी में आँवले देख कर कुछ पुरानी यादें ताज़ा हो गई और चेहरे पर बड़ी प्यारी मुस्कराहट के साथ मैंने भी कुछ ताज़े आँवले ख़रीद लिए। फिर सोचने लगी कि इनसे क्या-क्या बनाया जा सकता है और इस बात पर विचार करते हुए मेरा मन पिछले बरस की अनोखी यादों में जा पहुँचा, जहाँ से आँवले को लेकर न सिर्फ मेरा ज्ञान ही बढ़ा बल्कि आँवले से जुड़ी बहुत सी विशेष बातों ने मुझे बेहद प्रभावित भी किया।
आँवला खाने से कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं और रोगों पर काबू पाया जा सकता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
पिछले बरस इन्हीं दिनों मैं अपने परिवार के साथ राजस्थान घूमने गई थी जहां मैं अक्सर शाम को टहलते हुए वातावरण का आनंद लिया करती। एक शाम मैं घूमते हुए एक बाग में जा पहुँची जहाँ कम ऊंचाई के छोटी-छोटी पत्तियों वाले बहुत से पेड़ कतार दर कतार लगे हुए थे। उन पेड़ों पर हलके हरे रंग के चमकदार बिल्कुल गोल फल लदे देख कर मुझसे रहा न गया और मैंने पेड़ से एक फल तोड़कर अपने दुपट्टे से पोंछा और दाँतों के बीच दबाया तो उसकी खटास से मेरी आँखें बंद हो गई। वह इतना खट्टा था कि दूसरा टुकड़ा काटने की हिम्मत ही नहीं कर पाई।
बचपन में अक्सर नानी के घर आंवले के मुरब्बे, अचार, चूर्ण, कैंडी, जूस जैसी बहुत सी चीजें चख़ी थी। इसलिए यह तो मुझे पता था कि इस फल को आँवला कहते है पर मैं यह सोचकर हैरान थी कि इतने खट्टे फल को मीठे मुरब्बे में कैसे परिवर्तित किया गया होगा। खैर, क्योंकि अब मैं बाग में आ ही चुकी थी तो वहां की सुंदरता और बगीचे के स्वच्छ वातावरण को अपने मन में समेटने की चाह में वहीं कुछ देर टहलने लगी।
कुछ दूर आगे बढ़ते ही मुझे कुछ लोगों के हँसने बोलने की आवाज़ आ रही थी, पास जाने पर पता चला कि एक घर के आंगन में कुछ महिलाएं बाग से आँवले एकत्रित कर उनसे कुछ बनाने में लगी हैं। मुझे देखकर उनमें से एक महिला ने मुस्कुराकर पास आने का इशारा करते हुए बुलाया। वहां ढेरों आँवला साफ पानी से धोकर सूखे कपड़े पर पोंछकर अलग-अलग बर्तनों में एकत्रित किया जा रहा था। बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत एक दूसरे से व्यापारिक रूप से जुड़ी हुई हैं और एकजुट होकर इन आँवलों से विभिन्न उत्पाद तैयार करती हैं। फिर मीठा रसीला मुरब्बा, चटपटा पाचक चूर्ण, आंवले की कैंडी, आंवले का जूस, आँवला मुखवास जैसे इन उत्पादों को पैक करके आसपास के बाजारों में बेचा करती हैं।
आँवला इतना उपयोगी होता है कि खाने वालों को न सिर्फ स्वाद देता हैं बल्कि आंवले के प्राकृतिक और औषधीय गुणों का फायदा भी मिलता है। मेरे अचंभित चेहरे को देख कर उनमें एक महिला ने मुझे आँवला खाने से लाभ और उससे जुड़ी बहुत सी रोचक जानकारियाँ दी। बात की शुरुआत करते हुए वह बोलीं,
“आँवले का खाया और बुज़ुर्गों का गाया, बाद में काम आता है”
आँवला में विटामिन सी और आयरन का अदभुत ख़जाना है। यह तत्व शरीर को रोग मुक्त एवं स्वस्थ रखने के लिए बहुत उपयोगी माने जाते हैं। आँवले को कई प्रकार से खाया जा सकता है परंतु इसका जूस सर्वोत्तम माना जाता है। यह सच है कि आँवले का जूस काफी खट्टा होता है परंतु इसमें शहद अथवा काला नमक व भुना जीरा पाउडर मिलाकर अपने स्वाद के अनुसार मीठा या नमकीन करके सेवन किया जा सकता है। एक गिलास आँवले के जूस का सेवन करने से आँखें, बाल और हाज़मे को काफी लाभ होता है। इसे बनाना ना सिर्फ आसान है बल्कि इसे लंबे समय तक स्टोर भी किया जा सकता है।
चलो फिर पहले आपको इस पौष्टिक आँवला जूस को बनाकर प्रिजर्व करना सिखाते हैं ताकि आप अपने परिवार को हर रोज आँवला जूस पिलाकर उनकी सेहत बढ़ा सकें। आइए देखिए आँवला जूस बनाने की विधि:
वैसे तो आँवले का मौसम दिसम्बर से अप्रैल तक रहता है। इसलिए दिसम्बर से अप्रैल तक तो ताज़ा आँवला जूस पिया जा सकता है। पर पूरे साल आँवले के जूस (Amla Juice) प्रयोग करने के लिये इसको घर में ही आसानी से निकालकर प्रिजर्व करके रख सकते हैं।
इसके अलावा आप आंवले जूस को बर्फ़ की ट्रे में जमा कर इसके क्यूब्स भी बनाकर रख सकते हैं।
आँवला जूस पीने के लिए दो छोटे चम्मच आँवले के जूस या एक आँवला जूस क्यूब को एक कप गरम पानी और 1-2 छोटे चम्मच शहद में मिलाईये। यदि आप शहद न लेना चाहें तो आँवला जूस को काला नमक व भुना जीरा मिलाकर भी पी सकते हो।
मधुमेह: हल्दी के साथ आँवले का सेवन करने से मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है।
बवासीर: सूखे आँवले को बारीक पीस कर सुबह-शाम गाय के दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
नकसीर: यदि नाक से खून निकल रहा है तो आँवले को महीन पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर सिर और मस्तिक पर लेप करने से नाक से खून निकलना बंद हो जाता है।
दिल के मरीज़: नियमित रूप से आँवला खाने से दिल मजबूत होता है। दिल के मरीज़ो को हर रोज कम से कम तीन आँवले खाने चाहिए।
खांसी और बलगम: दिन में तीन बार आँवले का मुरब्बा गाय के दूध के साथ खाने से खांसी में जादुई आराम आता है। अगर ज्यादा तेज खांसी आ रही हो तो आँवले को शहद में मिलाकर खाने से खांसी ठीक हो जाती है।
पथरी के लिए: पथरी की शिकायत होने पर सूखे आँवले के चूर्ण को मूली के रस में मिलाकर 40 दिन तक सेवन करने से पथरी समाप्त हो जाती है।
आँवला में अनेक आयुर्वेदिक गुण हैं जिनसे अनगिनत बीमारियों से बचाव के लिए प्रसिद्ध दवाइयाँ, च्यवनप्राश, त्रिफला चूर्ण आदि के साथ मुरब्बे, शरबत, केश तेल आदि उत्पाद तैयार किए जाते हैं। मानव शरीर में सिर्फ “ल्यूकोडर्मा” को छोड़कर सिर से पैर तक का कोई ऐसा रोग नहीं जहाँ आँवला दवा या खुराक के रूप में उपयोगी न रहता हो।
इसके अलावा भारतीय गृहिणी की रसोई में भी आंवला, चटनी, सब्जी, अचार, मुरब्बे के रूप में सदा से विराजमान है। इसके प्रयोग से शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति सुरक्षित रहती है। बार-बार होने वाली बीमारियों से बचाव करने वाला आँवला ‘विटामिन सी’ का सबसे बड़ा भंडार है। इसका विटामिन ‘सी’ पकाने, सुखाने, तलने, पुराना होने पर भी नष्ट नहीं होता। अमृत फल देने वाले इस आँवले के एक पेड़ को अगर घर के आंगन या आसपास लगा दिया जाए तो पूरे परिवार का वैद्य बन यह स्वास्थ्य की हर जरूरतें पूरी करता है।
इस बात पर तो वहां उपस्थित सभी महिलाएं अपने-अपने अनुभव बताने लगीं। किसी ने कहा कि निरंतर आँवले के प्रयोग से बालों का टूटना, रूसी और बालों का सफेद होना रूक जाता हैं। तो अन्य ने अपने बालों पर हाथ लगाते हुए कहा कि ये देखो आँवले का जूस मैंने निरंतर अपने बालों पर लगाया जिसकी वजह से मेरा एक भी बाल सफेद नहीं है जबकि मेरी दो-दो बहुएं हैं। इस जुमले पर वहां बैठीं सभी महिलाएं ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी।
तभी तपाक से एक और बोली, "इससे आँखों की रोशनी भी तेज होती है", सब लोगों का ध्यान उस ओर बढ़ा और सभी ने इस बात पर भी हाँमी भरी कि आँवले का सेवन आंखों पर कभी चश्मा नहीं चढ़ने देता और हमारी सुंदर आंखों की ज्योति बनी रहती है ।
दूसरी ओर घुंघट पर बैठी एक महिला ने आहिस्ता से कहा, "दाँत भी मजबूत रहते हैं"। एक के बाद एक सभी के अनुभवों से जुड़ी बातें सुनकर मुझे बड़ा आनंद आ रहा था।
वहीं एक अधेड़ उम्र की बड़ी प्यारी सी मौसी ने अपनी हाजिरी लगाते हुए कहा कि, रोज़ाना एक आँवला खाने से त्वचा की नमी बरकरार रहती है और पिंपल्स जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।
हम अपने जीवन में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने आसपास प्रकृति के ख़ज़ाने को देखने की फुर्सत ही नहीं होती। बाजार से डिब्बा पैक सामान ख़रीदकर अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेते हैं। मैं जान चुकी थी कि आँवला हमारे जीवन का एक खास हिस्सा है और आज अपने घर में खुद आँवले का जूस निकाल कर अपना और अपने परिवार के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रख रही हूं और आप सभी को भी इसका निरंतर सेवन करने की सलाह दूंगी।
इन्हें भी पढ़ें: