“यह क्या प्रिया तुम आज फिर इतने सारे फेस पैक और क्रीम खरीद कर ले आई हो?” प्रिया की माँ ने प्रिया के हाथ में टंगे सामान के बैग की ओर देखते हुए कहा।
तुम्हें कितनी बार कहा है इन सब चीज़ों से तुम्हारा चेहरा और खराब हो जाएगा। इन सबको बनाने के लिए कई प्रकार के केमिकल का प्रयोग किया जाता है और फिर तुम अभी बच्ची हो, तुम्हारी त्वचा अभी मासूम है, तुम अपनी त्वचा पर इन सब का प्रयोग मत करो। ये न केवल त्वचा के लिए नुकसानदायक है बल्कि महंगे भी हैं। प्रिया की मां ने बैग में से एक-एक डिब्बा निकाल कर प्राइस टैग दिखाते हुए कहा जरा देखो एक-एक डिब्बे की कीमत कितनी ज्यादा है। सोचो यदि इनमें से कोई क्रीम या फेस पैक तुम पर सूट ना करे तो वह डिब्बा फिर व्यर्थ ही जाएगा ना। जब भी प्रिया बाजार से इस तरह के सामान लाती तो उसकी मां और दादी लगातार इसी तरह प्रिया को समझाने की कोशिश करतीं पर प्रिया को ये बातें अच्छी नहीं लगती थीं।
उसे लगने लगा था कि उसकी माँ को मॉडर्न जमाने की बड़ी-बड़ी कंपनियों में बने इन उत्पादों का ज्ञान नहीं है, इसलिए वह इस तरह की बातें करती हैं। कई तरह से समझाने के बाद भी जब प्रिया को अपनी मां की बात समझ नहीं आई, तब प्रिया की मां के मन में विचार आया कि क्यों ना मैं उन प्राकृतिक चीजों का स्वयं इस्तेमाल करना शुरू कर दूं, जिससे त्वचा को निखार, चमक और प्राकृतिक सौंदर्य मिलते हैं। हमारी रसोई और बगीचे में ऐसी कई वस्तुएँ पाई जाती है जिनमें भरपूर सौंदर्य छिपा हुआ है।
प्रिया की मां चाहती थीं कि किसी भी तरह प्रिया प्राकृतिक चीजों की ओर अपना रुझान बढ़ाये और अपने स्वास्थ्य एवं त्वचा के लिए केमिकल की बजाय प्राकृतिक चीजों को अपनाएं। इस पर और वजन डालने के लिए प्रिया की मां एक दिन प्रिया को पास ही के एक प्राकृतिक चिकित्सालय में ले गई जहां एलोवेरा को लेकर एक वर्कशॉप कराई जा रही थी। इस वर्कशॉप के कारण प्रिया को एलोवेरा से संबंधित इतनी जानकारी मिली कि उसके दिमाग में प्राकृतिक चीजों के प्रति समझ और विचार दोनों में सकारात्मक परिवर्तन आया। एक दिन के कार्यक्रम में एलोवेरा की संपूर्ण जानकारी कुछ इस प्रकार दी गई।
एलोवेरा जिसे ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय पौधे के रूप में मशहूर है। इसके अर्क या जेल का प्रयोग बड़े स्तर पर सौंदर्य प्रसाधन और वैकल्पिक औषधि के रूप में किया जाता है। उदाहरण के लिए त्वचा को युवा रखने वाली क्रीम, दवाइयाँ बना कर भी प्रयोग में लिया जाता है। भारत में इसका प्रयोग पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जाता है। मान्यता है कि एलोवेरा विषैले होते हैं पर ऐसा नहीं है लेकिन अगर इसका सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाये तो यह हानिकारक हो सकता है। घाव के भरने में भी एलोवेरा का उपयोग प्रभावी इलाज के तौर पर किया जाता है। जलने और घाव पर लगाने के अलावा इसके सेवन से मधुमेह रोगियों की रक्त शर्करा के स्तर में सुधार आता है साथ ही यह उच्च लिपिडेमिक रोगियों के रक्त में लिपिड का स्तर भी घटाने में सहायक होती है।
एलोवेरा जेल निकालने से पहले अपने हाथ को अच्छी तरह से धो लें क्योंकि आपके हाथ पर लगी गंदगी जेल को खराब कर देगी।
एलोवेरा के पौधे की बाहर की एक पत्ती काटें क्योंकि बाहर की पत्तियाँ ज्यादा पकी होती हैं और उनमें बहुत सारा ताज़ा जेल होता है। पौधे के बाहर ज़मीन के पास उगने वाली पत्तियों को देखें फिर उनमें से एक को, एक तेज़ चाकू की मदद से पौधे के निचले हिस्से से सावधानी से काटें। ऐलोवेरा जेल ज्यादा दिन नहीं चलता है इसलिए इसे ज्यादा मात्रा में नहीं बनायें, एक या दो बड़ी पत्तियों को काटकर करीब आधा से एक प्याला जेल प्राप्त किया जा सकता है।
एलोवेरा की पत्तियों में एक गाढ़े पीले रंग का पदार्थ पाया जाता है जिसे रेज़िन कहते हैं। रेज़िन में लैटेक्स (latex) होता है जिससे त्वचा में जलन हो सकती है। एलोवेरा के पत्ते को काटकर पत्ते को ऊपर की ओर करके 10 मिनट तक एक गिलास में रखें। ऐसा करने से पत्ते में से निकलने वाला गाढ़ा पीला पदार्थ निकल जाएगा।
#3. पत्तियों को छीलें
सब्जी छीलने वाले चाकू की मदद से सावधानी से पत्तियों का हरा हिस्सा छीलें व इसे साफ करते समय अंदर की सफेद परत ज़रूर हटायें। फिर पत्ती के एक ओर का छिलका पूरी तरह हटाकर एक तरफ की जेल से भरी हुई आधी पत्ती रहने दें।
पत्ती को छीलने के बाद पानी जैसा पारदर्शी और नरम जेल प्राप्त होगा। इसे आसानी से चम्मच से निकाल कर एक साफ पात्र में निकाल लें। बिना कोई पदार्थ मिलाए ताजे एलोवेरा जेल को फ्रिज में एक सप्ताह तक सुरक्षित रखा जा सकता है। अगर आपके घर में एलोवेरा का पौधा नहीं है तो आप कटे हुए पत्तों को बाजार से ख़रीद कर घर पर जेल निकाल सकते हैं।
जेल में प्राकृतिक संरक्षक (preservative)
अगर आपके पास बहुत सारा जेल है जिसे एक या दो महीने तक चलाया जा सकता है, तो हर 1/4 प्याला जेल के लिए करीब 500mg विटामिन C का पाउडर या 400 IU विटामिन E मिलाने से एलोएवेरा जेल जल्दी ख़राब नहीं होगा। अब इस जेल को एक विसंक्रमित (sterilized), साफ काँच के जार में रखें। एलोवेरा का इस्तेमाल जेल, बॉडी लोशन, हेयर जेल, स्किन जेल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम, ब्यूटी क्रीम, हेयर स्पा इत्यादि के निर्माण में भी किया जाता है।
वर्कशॉप का यही हिस्सा प्रिया के लिए सबसे कारगर था क्योंकि यह बात जानना आवश्यक था कि एलोवेरा में ऐसा क्या है जिससे त्वचा को कुछ खास मिल सकता है। इस विषय पर बात करते हुए उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए वक्ता ने कहा, दोस्तों आज हम जानेंगे कि एलोवेरा जेल में ऐसी क्या ख़ूबियाँ हैं और इसमें ऐसा क्या मिलाया जाए जिससे हमारी त्वचा में निखार आ जाये। यहाँ हम हर प्रकार के प्राकृतिक उपायों की बात करेंगे जिनका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होगा और इसे कोई भी व्यक्ति इस्तेमाल कर सकता है।
अगर आपकी त्वचा बहुत तैलीय है तो इसके लिए आप दो चम्मच एलोवेरा जेल में एक चम्मच kaolin clay मिलाइये और अच्छे से अपने फेस पर लगा कर कुछ देर के लिए छोड़ दीजिये। सूखने पर ताज़े पानी से हल्का मसाज करते हुए धो लीजिये। आपकी त्वचा कोमल और निखर जाएगी। kaolin clay को white clay भी बोलते हैं, यह किसी भी मेडिकल स्टोर से आसानी से मिल जाती है। Kaolin clay चेहरे को टाइट और ब्राइट करता है और चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों को दूर करने में सहायक होता है, इसलिए इसे आजकल ब्यूटी क्रीम में भी इस्तेमाल किया जाता है।
अगर आपकी त्वचा ज्यादा सूखी है तो एलोवेरा में एक चम्मच ग्लिसरीन डालें। ग्लिसरीन से चेहरे का मॉयश्चर बना रहेगा और त्वचा स्वस्थ हो जाएगी। इस फेस पैक को पूरे चेहरे पर लगाएँ, जब यह सूख जाए तो ताज़े पानी से धो दीजिए। इस फेस पैक को रात को लगाने से और भी अच्छा परिणाम मिलेगा।
एलोवेरा के अन्य फायदे
प्रिया बहुत खुश थी और अपनी माँ के साथ इस वर्कशॉप का भरपूर आनंद उठाते हुए प्राकृतिक चीज़ों की ओर अपना रुझान बढ़ा रही थी।
हमें भी इस बात को समझना चाहिए कि जो बात प्राकृतिक चीजों में है वह केमिकल्स में नहीं। हम जितना ज्यादा प्राकृतिक चीजों की ओर अपना रुझान रखेंगे उतना ही स्वयं और आने वाली पीढ़ी का उद्धार होगा।
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